देशभक्तीपर गीते
1. अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों साँस थमती गई नब्ज़ जमती गई फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं सर हिमालय का हमने न झुकने दिया मरते मरते रहा बाँकापन साथियों, अब तुम्हारे ... ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज़ आती नहीं हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों, अब तुम्हारे ... राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो तुम सजाते ही रहना नये क़ाफ़िले फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले आज धरती बनी है दुल्हन साथियों, अब तुम्हारे ... खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर इस तरफ़ आने पाये न रावण कोई तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे छूने पाये न सीता का दामन कोई राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों, अब तुम्हारे ...

2. ये मेरे वतन के लोगो
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो -२ जो लौट के घर न आये -२ ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी जब घायल हुआ हिमालय खतरे में पड़ी आज़ादी जब तक थी साँस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी संगीन पे धर कर माथा सो गये अमर बलिदानी जो शहीद... जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली थे धन्य जवान वो आपने थी धन्य वो उनकी जवानी जो शहीद... कोई सिख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मदरासी सरहद पर मरनेवाला हर वीर था भारतवासी जो खून गिरा पवर्अत पर वो खून था हिंदुस्तानी जो शहीद... थी खून से लथ-पथ काया फिर भी बन्दूक उठाके दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के जब अन्त-समय आया तो कह गये के अब मरते हैं खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं क्या लोग थे वो दीवाने क्या लोग थे वो अभिमानी जो शहीद... तुम भूल न जाओ उनको इस लिये कही ये कहानी जो शहीद...
3. है प्रीत जहाँ कि रीत
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने भारत ने मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आयी तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलायी देता ना दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था धरती और चाँद की दूरी का अंदाज़ लगाना मुश्किल था सभ्यता जहाँ पहले आयी पहले जनमी है जहाँ पे कला अपना भारत जो भारत है जिसके पीछे संसार चला संसार चला और आगे बढ़ा ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया भगवान करे ये और बढ़े बढ़ता ही रहे और फूले-फले मदनपुरी: चुप क्यों हो गये? और सुनाओ है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ काले-गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है जिसे मान चुकी सारी दुनिया मैं बात वोही दोहराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ जीते हो किसीने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है जहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है इतने पावन हैं लोग जहाँ मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कहके बुलाते है इतना आदर इन्सान तो क्या पत्थर भी पूजे जातें है इस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ4. ये मेरे देश कि धरती
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती ... बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं सुनके रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे, मेरे देश ... जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अंगड़ाइयाँ लेती है क्यूँ ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा यहाँ अपना पराया कोई नहीं है सब पे है माँ उपकार तेरा, मेरे देश ... ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहाँ गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहाँ रंग हरा हरी सिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर जवाहर से, मेरे देश ...5. जहाँ डाल डाल पर सोने कि चिड़ियाँ
जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा…जहाँ गंगा, जमुना, कृष्ण और कावेरी बहती जाए जहाँ उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को अमृत पिलवाये ये अमृत पिलवाये …कहीं ये तो फल और फूल उगाये, केसर कहीं बिखेरा वो भारत देश है मेरा…जहाँ सत्य अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा वो भारत देश है मेरा…
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